
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने एक दुर्लभ और ईमानदार स्वीकारोक्ति की — वो भी सार्वजनिक मंच पर। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन 2025 में उन्होंने कहा, “प्रशासनिक सेवाओं से आने वाले जज अक्सर सरकार के खिलाफ आदेश देने से बचते हैं। वे अपनी पृष्ठभूमि नहीं भूलते।”
ये बयान सुनकर कानून के छात्रों से लेकर ट्वीटर पर बैठे ‘लॉ एक्सपर्ट्स’ तक सब चौंक गए। एक तरफ जहां इसे “सिस्टम के भीतर से आई ईमानदारी” कहा जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे “जजों में बायस की पुष्टि” मान रहे हैं।
जज vs सरकार: टकराव से परहेज़ या पेशेवर शालीनता?
गवई का यह बयान एक सच्चाई को छूता है — क्या हमारे न्यायाधीश सच में “सरकार से भिड़ने” से डरते हैं?
प्रशासनिक सेवाओं से आए जजों का रुझान अक्सर नौकरशाही-समर्थक होता है, और शायद यही कारण है कि वे सरकारी फैसलों के खिलाफ आदेश देने में झिझकते हैं।
सीजेआई ने साफ कहा, यह प्रवृत्ति न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है और इसे सुधारे जाने की ज़रूरत है।
“आजकल सोशल मीडिया पर कुछ भी चल सकता है” – CJI का कटाक्ष
अब बात उस ‘ट्विस्ट इन द स्टोरी’ की, जिससे मामला और दिलचस्प हो गया।
कुछ दिनों पहले CJI गवई और जस्टिस विनोद चंद्रण ने खजुराहो मंदिर की एक याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कहा:
“अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो प्रार्थना करें और ध्यान लगाएं।”
ये बात सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। किसी ने कहा “जज भगवान को भी dismiss कर रहे हैं”, तो किसी ने कहा “यह कोर्ट नहीं, क्लासरूम है।”
इस पर CJI ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी की, “आजकल तो पता ही नहीं चलता, आप क्या कह रहे हैं और सोशल मीडिया क्या दिखा रहा है।” और इसी में छिपा है डिजिटल युग का नया “अदालती चैलेंज” — Law vs Trolls।
“मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं” – CJI की सफाई
बढ़ते विवाद के बीच, CJI ने एक और केस की सुनवाई के दौरान सफाई दी, “मैं सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं और सभी का सम्मान करता हूं।”
मतलब, कोर्ट चाहे संविधान के अनुच्छेद पढ़े या सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं — जज साहब संतुलन बनाए रखते हैं।
सच बोलना मुश्किल है, खासकर जब आप कुर्सी पर हों!
CJI गवई के बयान ने न्यायपालिका के भीतर की सच्चाई को सामने रखा, और सोशल मीडिया ने उसे meme-worthy material बना दिया।
“राहुल का रॉकेट लॉन्च: वोट चोरी पर ‘हाइड्रोजन बम’ जल्द फटेगा!”